पूर्व ओलंपियन निशानेबाज अंजली भागवत को उम्मीद है कि भारतीय निशानेबाजी दल लंदन ओलंपिक में कई पदक जीतेगा। उन्होंने कहा, 'हमारे एक दर्जन निशानेबाज मुकाबले में हैं और सभी लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। पदक मिलने की पूरी उम्मीद है। लेकिन यह कितने होंगे बताना मुश्किल है।'
भले ही अभिनव बिंद्रा बीजिंग में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने हों। लेकिन अंजलि भागवत भारतीय निशानेबाजों को ओलंपिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में पदक जीतने का आत्मविश्वास जगाने का श्रेय राज्यवर्धन सिंह राठौर को श्रेय देती हैं। राठौर ने एथेंस ओलंपिक में रजत पदक जीता था। भागवत तीन ओलंपिक खेलों, सिडनी 2000, एथेंस 2004 और बीजिंग 2008 में भाग ले चुकी हैं। वह जनवरी में दोहा एशियन निशानेबाजी में अच्छा प्रदर्शन न कर पाने की वजह से लंदन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकीं। दस मीटर एयर राइफल और 50 मीटर राइफल थ्री पोंजीशन निशानेबाज को 2004 में पदक जीतने की सबसे ज्यादा उम्मीद थी।
दुनिया की पूर्व नंबर एक निशानेबाज ने सोमवार को कहा, 'एथेंस में पदक जीतने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन वह मेरा दिन नहीं था। मैं फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी। मैं बेहद निराश थी और मैंने लगभग तय कर लिया था कि यह अंतिम बार है जब मैं रायफल उठा रही हूं।' अर्जुन पुरस्कार विजेता 43 वर्षीय भागवत ने कहा कि छह माह बाद मैं खुद को वापसी से रोक नहीं सकी। उन्होंने कहा, 'एथेंस के बाद मैं निशानेबाजी से पूरी तरह दूर हो गई थी। लेकिन कुछ माह बाद मुझे लगा कि मैं शूटिंग रेंज पर नहीं जाने की कमी महसूस कर रही हूं। मुझे महसूस हुआ कि मैं निशानेबाजी के लिए बनी हूं। मैंने अपनी रायफल उठाई और राष्ट्रीय चैंपियन बन गई और जिंदगी वापस ढर्रे पर लौट आई।' अंजलि ने 15 वर्ष के करियर में 31 स्वर्ण, 23 रजत और सात कांस्य पदक जीते हैं।
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