चार साल पहले उभरती हुई खिलाड़ी और अब स्टार बन चुकी साइना नेहवाल आगामी ओलिम्पिक की बैडमिंटन स्पर्धा में भारतीय चुनौती की अगुआई करेंगी, जबकि पहली बार पांच खिलाड़ियों के साथ उतर रहे भारत को अन्य खिलाड़ियों से भी उलटफेर की उम्मीद है।
भारत इन खेलों की बैडमिंटन स्पर्धा के इतिहास में पहली बार तीन महिला और दो पुरुष खिलाड़ियों के साथ उतरा रहा है और एक बार फिर सभी की नजरें साइना और युगल खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा पर टिकी होंगी, जो इस बार ओलिम्पिक मिथक को तोड़कर पदक जीतने को बेताब होंगी।
पुरुष एकल में पी. कश्यप छुपा रुस्तम साबित हो सकते हैं, क्योंकि वह अपने से बेहतर रैंकिंग वाले खिलाड़ियों को हराने में सक्षम हैं। चार साल पहले उभरती हुई खिलाड़ी होने के बावजूद साइना ने खुद को साबित किया था, लेकिन बीजिंग खेलों के दौरान वह क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने वाली पहली महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बनी थीं।
साइना तीसरे गेम में 11-3 की बढ़त के बावजूद बीजिंग में इंडोनेशिया की मारिया क्रिस्टीना यूलियांती से हार गई थीं। साइना इस हार के बाद कई दिनों तक परेशान रहीं और अब उनके पास इस हार से उबरने का मौका है। साइना अब अधिक अनुभवी हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुपरस्टार का दर्जा पा चुकी हैं और लगातार मजबूत हो रही हैं।
पिछले चार साल में साइना ने पांच सुपर सिरीज खिताब जीते हैं, जिसमें इंडोनेशिया ओपन (2009, 2010, 2012), सिंगापुर (2010) और हांगकांग (2010) ओपन शामिल हैं। इसके अलावा वह पिछले साल मलेशिया सुपर सिरीज, इंडोनेशिया सुपर सिरीज और सुपर सिरीज मास्टर्स के फाइनल में पहुंचीं।
ओलिम्पिक से पहले दुनिया की पांचवें नंबर की खिलाड़ी साइना पिछले महीने थाईलैंड ग्रांप्री गोल्ड और इंडोनेशिया सुपर सिरीज प्रीमियर के रूप में लगातार दो खिताब जीतकर चीन की अपनी प्रतिद्वंद्वियों को चुनौती दे दी है और लंदन में पदक जीतने की अपनी दावेदारी भी जता दी है।
हालांकि ओलिम्पिक के लिए साइना को एक बार फिर चीन की खिलाड़ियों की कड़ी चुनौती का सामना करना होगा और ऐसे में शारीरिक और मानसिक तौर पर अपनी फार्म और फिटनेस के शीर्ष पर होना जरूरी होगा।
साइना ने कहा कि ओलिम्पिक से पहले पूरी तरह फिट होना अहम है। चीनी खिलाड़ी काफी प्रतिस्पर्धी हैं और वे प्रत्येक अंक के लिए संघर्ष करते हैं। उन्हें हराना आसान नहीं है, लेकिन ओलिम्पिक में पदक असंभव नहीं है। गत कुछ वर्षों से साइना ने भारतीय बैडमिंटन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है, जबकि युगल विशेषज्ञ ज्वाला गुट्टा ने भी लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है और वह मिश्रित युगल तथा महिला युगल के साथ ओलिम्पिक की बैडमिंटन स्पर्धा के दो वर्गों में क्वालीफाई करने वाली पहली खिलाड़ी बनीं।
ज्वाला ने महिला युगल में अश्विनी पोनप्पा जबकि मिश्रित युगल में अनुभवी वी. दीजू के साथ जोड़ी बनाई है और अंतरराष्ट्रीय सक्रिट में पिछले कुछ समय में इन जोड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। दुनिया की 13वें नंबर की ज्वाला और दीजू की जोड़ी ने अगस्त 2010 में छठे नंबर की करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग हासिल की।
इसी तरह ज्वाला और अश्विनी ने भी महिला युगल में कुछ अच्छे नतीजे दिए हैं। ये जोड़ी राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय जोड़ी बनी थी। इस जोड़ी ने 2011 में लंदन में विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतकर भारतीय बैडमिंटन में नया इतिहास भी रखा। इसी स्टेडियम में लंदन ओलिम्पिक की बैडमिंटन स्पर्धा का आयोजन होना है।
पदक पर नजरें गड़ाए बैठी ज्वाला अपनी फिटनेस पर काफी जोर दे रही हैं और उन्हें लंदन में अच्छे प्रदर्शन का भरोसा है। ज्वाला ने कहा कि मैं वजन घटाने पर ध्यान दे रही हूं जिससे कि तेजी से मूव कर सकूं। मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहती हूं। मैं इसी आयोजन स्थल पर विश्व चैम्पियनशिप में भी खेली थी।
मुझे लगता है कि अगर मैं विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीत सकती हूं तो ओलिम्पिक भी इससे अलग नहीं है। कश्यप ने इस बीच अपने दोस्त अजय जयराम को पछाड़कर ओलिम्पिक में खेलने का हक पाया है। उन्होंने यहां अप्रैल में इंडिया ओपन सुपर सिरीज के सेमीफाइनल में पहुंचकर यह उपलब्धि हासिल की थी।
राष्ट्रमंडल खेलों के कांस्य पदक विजेता कश्यप ने पिछले महीने इंडोनेशिया ओपन सुपर सिरीज में सेमीफाइनल के सफर के दौरान दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी चीन के चेन लोंग और 16वें नंबर के डेनमार्क के हैंस क्रिस्टियन विटिनघस को हराकर अपनी क्षमता का परिचय दिया था।
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