Tuesday 3 July 2012

ओलिम्पिक में चीनी एथलीट मीट नहीं खाएं


लंदन ओलिम्पिक से पहले चीनी एथलीटों को मीट नहीं खाने की हिदायत दिए जाने के बाद से लगातार उनके प्रदर्शन में गिरावट आ रही है, जिसे लेकर उनके कोच बेहद चिंता में है। पोर्क, लैंब और बीफ मीट में पाए जाने वाले रसायनों जैसे की 'क्लैनब्यूटरोल' के कारण उनका सेवन करने वालों में भी इसका प्रभाव आ जाता है। ऐसे में डोपिंग की समस्या को देखते हुए चीनी प्रशासन की ओर से एथलीटों को इनके मीट का सेवन नहीं करने के निर्देश दिए गए थे। हालांकि इन निर्देशों के बाद से एथलीटों के कोच का आरोप है कि मांस का सेवन नहीं करने से उनके खिलाड़ियों का प्रदर्शन प्रभावित हो रहा है। चीन की महिला वालीबॉल टीम की कोच ने आरोप लगाया कि लगातार तीन सप्ताह तक शाकाहारी भोजन खाने से हाल ही में निंगबो में संपन्न हुई वर्ल्ड ग्रां.प्री. में उनकी टीम को लगातार हार का सामना करना पड़ा है।

उन्होंने कहा कि खेल मंत्रालय ने एथलीटों को क्लैनब्यूटरोल जैसे रसायनों के खतरे के मद्देनजर मांस नहीं खाने की हिदायत दी है। गौरतलब है कि चीन के खेल मंत्रालय ने एथलीटों को इस वर्ष मीट उत्पादों के सेवन पर प्रतिबंध लगा दिया था। मंत्रालय ने एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) के गत नवंबर में उस बयान के बाद यह निर्णय लिया था, जिसमें चीन और मैक्सिको में मीट के दूषित होने की बात कही गई थी। वाडा ने ओलिम्पिक में भाग ले रहे इन देशों के एथलीटों को केवल फेडरेशन और संयोजकों द्वारा अधिकृत रेस्त्रां और कैफेटएरिया में ही मीट के सेवन की अनुमति दी थी। इस बीच समाचार एजेंसी 'शिन्हुआ' ने बताया कि एथलीटों को दिए गए निर्देशों के बाद से चीन के सभी 196 एथलीटों ने पिछले 40 दिनों से चीन का मुख्य आहार सुअर के मांस सेवन नहीं किया है। ऐसे में सभी एथलीटों को ऊर्जा और प्रोटीन की जरूरतों के लिए सिर्फ मछली और प्रोटीन पाउडर पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

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