मुंबई के चॉल में नित्यकर्म निभाने के लिए टॉयलेट (बॉथरूम) के बाहर लगी लंबी लाइन लोगों ने कई बार फिल्मों में या खुद अपनी आंखों से देखी होगी। लंदन में इसी हफ्ते शुरू होने जा रहे खेलों के सबसे बड़े खेल आयोजन में भी कुछ वैसा ही दृश्य है।
ओलंपिक खेल गांव पहुंचे एथलीटों को यहां टॉयलेट की कमी का सामना करना पड़ रहा है। खेल गांव में एक बॉथरूम को चार लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। कभी-कभी यह संख्या छह तक पहुंच जा रही है। एथलीटों की माने तो यह उनके लिए बड़ी ही विकट परिस्थिति है। कई एथलीटों ने तो अपनी दिनचर्या के लिए अलग-अलग वक्त तय कर लिया है।
किसी भी खेल आयोजन में व्यवस्था को लेकर नाक-भौं सिकोड़ने में सबसे आगे रहने वाले 'अंग्रेज' इस मामले में अभी तक चुप्पी साधे हुए हैं। खेल गांव में मौजूद एक भारतीय अधिकारी ने कहा, 'यह सचमुच आश्चर्यजनक है कि एथलीटों को सबसे बड़े खेल आयोजन में ऐसी अजीब परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है और वे इससे खासे परेशान हैं।' एक अन्य अधिकारी ने बताया, 'अभी तक हालात बिगड़े नहीं हैं, लेकिन फिर भी कभी-कभी यदि कोई खिलाड़ी बाथरूम में ज्यादा वक्त ठहर जा रहा है तो उसे अपार्टमेंट में ठहरे अन्य साथी खिलाड़ियों की घूरती नजरों का सामना करना पड़ जाता है।'
दिल्ली में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भाग ले चुके एक भारतीय मुक्केबाज ने कहा, 'दिल्ली खेल गांव में बने अपार्टमेंट इससे बेहतर थे। वहां कम से कम टॉयलेट के बाहर लंबी लाइन तो नहीं लगती थी।' 'टॉयलेट ट्रबल' की यह बात सबसे पहले ऑस्ट्रेलियाई हॉकी कोच रिक चार्ल्सवर्थ ने उठाई थी। उन्होंने बताया कि ड्रॉ के हिसाब से उनकी टीम को तीन मैच सुबह 8.30 बजे से खेलने हैं और टॉयलेट की कमी के कारण खिलाड़ियों को भारी परेशानी होने वाली है। इन मैचों में समय से पहुंचने के लिए खिलाड़ियों को सुबह पांच बजे से ही तैयारी में जुट जाना होगा।
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